जब कोई सरकार रूढ़िवादी या अपने मद इतना चूर हो जाती है कि...
Published on by Vinod Sachan
विगत वर्षों में भी कुछ ऐसा ही हुआ आम नागरिक गंदे से गंदे वातावरण में जी रहा है। उसके आसपास का वायु प्रदूषण बहुत है उसके पीने के पानी के कभी जांच नहीं होती है और यदि जांच होती भी है तो उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। उसका किसी को आभास नहीं होता है। ऐसे में नागरिकों के हितों के लिए या आम जन मानस के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए सिविल कानून या सामाजिक कानून बड़े ही कठोर ढंग से लागू किया जाना चाहिए।
नागरिक को मालूम होना चाहिए उसके आसपास के वातावरण का प्रदूषण सूचकांक क्या है और उसे शुद्ध भोजन मिल रहा है या फिर शुद्ध पानी मिल रहा है।
यदि कोई नागरिक अपने स्तर से सरकारों को सूचित भी करता है तो सरकारी कागजों में और सरकार के कार्य में आंकड़ों में हेर फेर कर देते हैं जिससे न तो सरकार को उचित और समुचित जानकारी मिल पाती और न ही आम आदमी को मिल पाती है।
सभी प्रमुख कार्यालय में स्वास्थ्य या जीवन सूचांक जिनको कहा जाए। इनका डिस्प्ले होना चाहिए। ताकि हर आदमी उससे अवगत हो सके। वाकई हमारी सरकार हमारे और हमारे स्वास्थ्य के लिए कुछ कर पा रही है या हम स्वस्थ वातावरण में रह पा रहे हैं या नहीं।
यह चिंतन किसी एक देश के लिए नहीं है। सभी देश के लिए है और इसको सभी देशों में बहुत ही ढंग से लागू किया जाना चाहिए। जिससे आम जनमानस के स्वास्थ्य और वातावरण की सुरक्षा की जा सके।