“अतीत से प्रेरणा लेते हुए हमें वर्तमान में जीना है और अपना भविष्य गढ़ना है। भविष्य को अनुकूल ढंग से गढ़ने हेतु वर्तमान पर छाई धुंध और गर्द-गुबार को हटाकर अपने देश की तासीर को समझते हुए नई सोच, ढांचे और तौर-तरीके गढ़ने की जरूरत है। यह प्रक्रिया बहुविध प्रयोगों, परिणामों और अनुभवों से होकर गुजरेगी, इसके दिशा-निर्देशक तत्व होंगे – स्थानीकरण, विकेन्द्रीकरण, विविधीकरण और बाजार मुक्ति। भारत के संदर्भ में समाज की ताकत का बुनियादी महत्व है, राजसत्ता का महत्व पूरक है। इसलिए समाजसत्ता का जागरण और उसके परिणामस्वरूप राजसत्ता का अनुकूलन सही तरीका होगा।“
Taxonomy
- Organization Type
- Non Profit
- Publication
- Non Government Organisation
- Association