Water Parliament
Published on by Ashutosh Joshi, Founder at Water Parliament in Case Studies
पद्मश्री लक्ष्मण सिंह जी के द्वारा विगत चार दशक से प्रतिवर्ष आयोजित धरती जतन यात्रा और उस परिवार का हिस्सा होने पर उमंग-उत्साह के साथ ही प्रतिवर्ष की प्रतिक्षा रहती हैं।
पर, अनायास इस बार मेहमान बन बैठा।
हुआ यूँ कि स्थानीय विधायक श्री प्रेमचन्द बैरवा जी (वर्तमान में राजस्थान के उपमुख्यमन्त्री व उच्च शिक्षा मन्त्री) को आना था वे ही मुख्य अतिथि थे, वे राजनैतिक कारणों से न आ पायें और नियति और अग्रज के आग्रह पर मैं ही मुख्य अतिथि बन गया।
पद्मश्री लक्ष्मण सिंह जी जल संरक्षण आन्दोलन के क्रान्तिकारी हैं ही साथ ही सामाजिक उद्यमिता के अद्भुत प्रतिमान भी।
सत्तर-अस्सी के दशक में समाज को प्रेरणा-जागरूक करते हुए जो कार्य उन्होने किया, तत्कालीन समाज में बहुतेरे ने उसका मज़ाक़ उड़ाया, उसे हल्के में लिया वहीं समाज आज स्वावलंबी होता हुआ, मिशाल देते हुए बेमिसाल बन गया।
कृषि, गौचर, जल-जंगल-ज़मीन-जानवर-जीवन की परवाह करते-करते लापोड़िया मॉडल क्या देश क्या इस महाद्वीप क्या समन्दरों के पार चर्चा में, आश्चर्य से अवसर सा बनता चला गया। इज़राईल-जर्मनी जैसे देशों ने यहाँ की स्थानीय जल संरक्षण पद्धति “चौका” को अपनाया।
जल संसद की अनौपचारिक मुहिम से न्यास तक के इस दो दशक में गुरुतुल्य अनुपम मिश्र जी और उनके बहुत से ऐसे लोगों से बहुत कुछ जानने और करने के अवसर मिलें, हम जुटें तो पद्मश्री लक्ष्मण सिंह जी को हमेशा अपने साथ पाया, यह सम्पर्क एक जल-परिवार आत्मीय-सनातनी बन गया, मिलें तो पानी एक और बहता पानी निर्मला सी यह जीवन यात्रा।
आगौर से गागर-सागर अनथक बहने, धरती को नम-नमी देने की गाथायें तो बहती ही रहेगी, अभी हम फिर कोई और बहने का सिलसिला तो यूँ ही….
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