Indian Youth Parliament

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हर कहीं कोई उपक्रम, प्रक्रम चलता रहना चाहिए, ताकि जो सत्यं शिवं सुन्दरं वह दिखता भी रहें, और होता भी रहें। सब, स्वयं में पूर्ण है, और सब मिलकर परिपूर्ण बन जाते है, समाज-क्षेत्रे यह भाव-भावना-भवितव्य की नींव रखने में सार्थक भूमिका का निर्वहन करती है।  
इसलिए ही तो कहा जाता है, की जो जितना सामर्थ्यवान है करें, सामर्थ्य से कम भी करें तो कोई हर्ज़ नहीं, पर करता रहें –
श्रद्धया देयम्। अश्रद्धयाऽदेयम्। श्रिया देयम्। ह्रिया देयम्। भिया देयम्। संविदा देयम्।  
Give with Faith, Give not without Faith; Give in Plenty, Give with Modesty,Give with Awe, Give with Sympathy। 
तुम्हें श्रद्धा एवं आदरपूर्वक दान करना चाहिये, अश्रद्धा से तुम नहीं दोगे। तुम सलज्जभाव से दान करोगे, तुम सभय दान करोगे, तुम संविदभाव से (सहदयता एवं सहानुभूतिपूर्वक) दान करोगे।
और और 
एष आदेशः । एष उपदेशः।एषा वेदोपनिषत् ।एतदनुशासनम्। 
एवमुपासितव्यम् ।   एवमु चैतदुपास्यम्
This is the Command। This is the Teaching। This is the secret Doctrine of the Veda। This is the Instruction। Thus should one worship।  Thus indeed should one worship ।  
यही विधान तथा उपदेश हैं। ये ही परम 'आदेश' हैं, यही वेदों का उपनिषद् -अन्तर ज्ञान है। इसी ज्ञान के अनुसार तुम धर्म का पालन करोगे। हाँ, निश्चित रूप से यही ज्ञान है जो धर्मपूर्वक करणीय है। शिक्षावल्ली तैत्तिरीयोपनिषद और इसे कहा गया, 
वेदमनूच्याचार्योऽन्तेवासिनमनुशास्ति । ( Having taught the Veda, the Teacher instructs the Pupil। ) वेद मनीषा के माध्यम से शिक्षक का सामान्य जन के प्रति सन्देश, जीवन का सार तत्व सन्देश। 
 

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